क तरफ सरकार नौनिहालों को पढ़ाने में हर साल करोडो रूपये की बजट खर्च करती है तो वही दूसरी तरफ आजमगढ़ जिले की दुर्गा शक्ति सेवा ट्रस्ट की संचालिका पूजा सिंह नौनिहालों का सहारा बनकर क से ककहरा का पाठ पढ़ाने में जुटी है। जिसे देखकर समाज भी एक बार इनकी तारिक करने से गुरेद नहीं खा रहा है। शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाएं भी नौनिहालों को उपलब्ध कराई जा रही है। जिसे पाकर बच्चें भी अपने तक़दीर को संवार आगे की दिशा और दशा तय कर सकेंगे।
हार हो जाती है जब मान लिया जाता है, जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है,अभी से पांव के छाले न देखो.. अभी यारो सफर की इब्तिदा है। जी हाँ यह सफर लम्बा है, यह सफर सुहाना है क्योकिं गुरबत की ज़िन्दगी जी रहे परिवार के नौनिहालों को शिक्षा की रौशनी से नहलाना है। शिक्षा की अलख जगाने वाली दुर्गा शक्ति सेवा ट्रस्ट की इस मुहीम को अगर हम गौर से देखे तो खुद पर विश्वास नहीं होगा। क्योकिं एक तरफ़ जहां दो सौ बच्चों को पिछले पांच साल से रोजाना सुदेक्षा फ़ाउंडेशन द्वारा न सिर्फ दो घंटे की निशुल्क शिक्षा मुहैया करायी जा रही है बल्कि दूसरी तरफ़ पूजा सिंह द्वारा इन बेशहारों का सहारा बनकर जिला आजमगढ़ में ज़मीनी अस्तर पर उसे साबित भी किया जा रहा है। इतना ही नहीं इन नौनिहालों को शिक्षा के साथ साथ बुनियादी चीजे जैसे कॉपी,किताब,पेंसिल,बैग,लंच पैकेट समेत तमाम सुविधाओं से लैस किया जा रहा है। जिससे आने वाले समय में देश के भविष्य को यह नौनिहाल संवार सके। बताते चलें कि एक तरफ जहां समाज में भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में लोग अपने सपनों को पूरा करने में पूरी ज़िन्दगी खपा दे रहे है तो वही दुर्गा शक्ति सेवा ट्रस्ट की संचालिका पूजा सिंह बच्चों की उम्मीदों के एक नया आयाम देने में जुटी हुई है। आप महज इस बात से समझ सकते है कि इन नौनिहालों को बड़े होने के बाद किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े और अपने पैरों पर खड़ा होकर समाज को एक नयी दिशा दे सके। यही नहीं इस संगठन द्वारा न सिर्फ शिक्षा बल्कि समाज की कुरीतियों को ख़त्म करने और बड़े बुजुर्गों के साथ महिलाओं के स्वास्थ्य की नब्ज को भी टटोला जाता है। जिसमे जिले की मशहूर गायनी डॉक्टर विपिन यादव इस संगठन से जुड़कर उन महिलाओं और बच्चों को निरोग करने की प्रण के साथ समय समय पर अपना योगदान देती रहती है। जिससे नौनिहालों के साथ-साथ महिलाओं की तक़दीर भी संवर रही है। और आने वाले वक्त में नौनिहालों के संख्या दो सौ से पार भी पहुँच सकती है। तभी तो कहते है पढ़ेगा इण्डिया तो बढ़ेगा इण्डिया।