गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे में सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने एक आरोपी को सात वर्ष के सश्रम कारावास तथा एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। यह फैसला विशेष न्यायाधीश गैंगस्टर कोर्ट रामानंद ने सोमवार को सुनाया। अभियोजन कहानी के अनुसार थानाध्यक्ष अहरौला मोहनलाल वर्मा 28 जुलाई 2008 को अपने क्षेत्र में गश्त कर रहे थे।तभी उन्हें जानकारी मिली कि यशवंत सिंह उर्फ झब्बू सिंह पुत्र गणेश सिंह तथा रुदल सिंह उर्फ रुद्र प्रताप सिंह पुत्र हवलदार सिंह निवासी शंभूपुर थाना अहरौला एक गैंग बनाकर गंभीर अपराधों में लिप्त है। पुलिस ने दोनों आरोपियों के विरुद्ध हत्या हत्या के प्रयास तथा लूट जैसे गंभीर अपराधों के नौ मुकदमों की सूची न्यायालय में दाखिल की। आरोपी रुदल उर्फ रुद्र प्रताप सिंह के फरार होने के कारण उसकी पत्रावली अलग कर दी गई। सहायक शासकीय अधिवक्ता संजय द्विवेदी ने वादी मुकदमा तत्कालीन थानाध्यक्ष मोहनलाल वर्मा, अब्दुल वली,संकटा प्रसाद मौर्य , विवेचक जगदीश कुशवाहा, अनिल कुमार निषाद, हेड मोहर्रिर जयप्रकाश मिश्रा तथा हेड कांस्टेबल पवन कुमार यादव को बतौर गवाह न्यायालय में परीक्षित कराया।दोनों पक्षों की डालीनों को सुनने के बाद अदालत में आरोपी यशवंत सिंह उर्फ झब्बू सिंह को सात वर्ष की सश्रम कारावास तथा एक लाख रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई।