आजमगढ़: शिब्ली मंजिल सभागार में मार्कंडेय स्मृति संवाद का आयोजन किया गया। इस संवाद गोष्ठी का विषय मार्कंडेय का कथा लोक रखा गया था। कार्यक्रम की शुरुआत में शिब्ली कॉलेज में हिंदी की प्रोफेसर डॉक्टर गीता ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया गया। इसके बाद कार्यक्रम में आए वक्ताओं को डा. स्वस्ति सिंह ने शाॅल ओढ़ाकर सम्मानित किया इसके बाद मार्कंडेय की कहानी गूलरा के बाबा का पाठ किया गया। इस कहानी का पाठ कल्पनाथ यादव ने किया। कार्यक्रम में गोष्ठी के मुख्य विषय पर बोलते हुए प्रोफेसर नीरज खरे ने कहा कि मार्कंडेय जी बदलाव के कहानीकार हैं। प्रेमचंद की कहानी को आगे ले जाते हैं। उन्होंने मार्कंडेय की कहानी गूलरा के बाबा, हंस जाइ अकेला, भूदान, पान फूल कहानियों की चर्चा की और कहा कि आजादी के बाद जो समाज की सच्चाई थी, मार्कंडेय इस सच्चाई के कहानीकार हैं। इस संवाद गोष्ठी में बोलते हुए डॉक्टर इन्दीवर ने कहा कि मार्कंडेय लोक जीवन और लोक संस्कृति के कहानीकार हैं। मार्कंडेय युग सत्य के कहानीकार हैं। गोष्ठी में अपना वक्तव्य देते हुए डॉक्टर सरोज सिंह ने कहा कि मार्कंडेय की कहानियों में स्त्री समस्या को प्रस्तुत किया गया है। मार्कंडेय जी जिस तरह का जीवन जीते थे, उनकी कहानियों में उसके संघर्ष और उसके पहलू नजर आते हैं। उन्होंने मार्कंडेय जी के साथ अपने संस्मरणों को भी साझा किया। गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्रोफेसर सुरेंद्र प्रताप ने कहा कि मार्कंडेय को पहली नई कहानी लिखने का श्रेय देना चाहिए। उन्होंने कहा कि नामवर सिंह ने निर्मल वर्मा की कहानी परिंदे को पहली कहानी कहा, जो सही नहीं है। मार्कंडेय की कहानी गुलरा के बाबा पहली नयी कहानी है। धन्यवाद ज्ञापन डा. स्वस्ती सिंह ने किया और संचालन दुर्गा सिंह ने किया। इस गोष्ठी का आयोजन कथा प्रकाशन ने किया।
भवदीय
दुर्गा प्रसाद सिंह