आज़मगढ़: सरायमीर कसबा मद़रसा इस्लामिया अरबिया बैतुलउलूम में एक दिवसी जलसा का पहला सत्र का आरंभ सर्व प्रथम क़ारी अबु उबैदह की तिलावत कु़रआन और बदरुल कौनेन के द्वारा नज़्म पढ़कर किया गया। जलसा को संबोधित करते हुए मौलाना सय्यद महमूद असअद मदनी अध्यक्ष जमियत उलमाए हिन्द ने कहा अल्लाह ने दुनिया हमारे लिए बनाई, हम को दुनिया के लिए नहीं बनाया, अल्लाह ने हमें सभी जीव जंतु से उत्त्म बनाया, शरीर में वरदान जिसका गिनना नामुमकिन है इसी तरह दुनिया की वरदान उसका गिनना भी नामुमकिन है,, दुनिया हमारी जरूरतों के लिए बनाई गई है, इस दुनिया में रहने के लिए सीमाएं तय की गई हैं, उदाहरण के लिए, सीमा से अधिक होने पर हलाल और हराम। यदि आप करो, दिक्कत होगी, मुसलमान सीमाओं के बाहर कुछ भी स्वीकार नहीं कर सकता, अगर आप अपने दिल की बात नहीं कह सकते, तो उसे गुलामी कहा जाता है। बहनों को हक़ देने से लोग भागते हैं हैं, बहनों के हक़ का प्रयोग नाजाएज़ और हराम है। हम अल्लाह से बग़ावत किए जा रहे हैं। अगर हम लोग समाजिक बिगाड़ और खराबियों का सही करने की कोशिश नहीं की तो सब लोग इसके गुनाहगार होंगे, शरीयत में किसी किस्म का समझोता नही हो सकता, छात्र वक्त की कद़र करें अपनी सेहत का ख्याल रखें, सुन्नत की पाबन्दी करें, सदक़ात का एहतेमाम करें, इस्लाम में सब लोग बराबर हैं । इस के बाद मौलान शम्सुलहुदा इमाम व खतीब कुशीनगर और मौलाना शफीक़ अहमद बिजनौरी ने सम्बोधित किया।जलसा की अध्यक्षता कारी अबुल हसन आज़मी, संचालन मौलाना महबूब आलम ने किया मौके पर भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे