उत्तर प्रदेश साहित्य समाज आजमगढ़ के तत्वावधान में आज विजेंद्र प्रताप श्रीवास्तव करुण के काव्य संग्रह रोशनी के पंख का विमोचन एक होटल के सभागार में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता हरिहर पाठक व मुख्य अतिथि विख्यात गीतकार डॉ विष्णु सक्सेना थे। कार्यक्रम का की शुरुआत मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण दीप प्रज्जवलित कर पश्चात विजेंद्र प्रताप श्रीवास्तव करुण के जयति जयति मां जयति शारदे के वाणी वंदना से प्रारंभ हुआ। सर्वप्रथम सभी आए हुए अतिथियों को माल्यार्पण अंगवस्त्रम तथा स्मृति चिन्ह से सभा के पदाधिकारी शैलेंद्र मोहन राय डॉ मुस्ताक अहमद डा अमरीश श्रीवास्तव, राकेश पांडे सागर ,अजय गुप्ता राजकुमार आशीर्वाद, अजय पांडे, अरुण कुमार श्रीवास्तव विजय कुमार श्रीवास्तव इत्यादि ने सम्मानित किया। इसके पश्चात विजेंद्र प्रताप श्रीवास्तव ने अपनी पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कविता अंतरात्मा की आवाज होती है जब भीतर कोई संवेदना प्रवाहमान होती है तो कविता स्वतः फूटकर बाहर जा जाती है। इससे पश्चात उन्होंने अपनी रचना रोशनी के पंख जब जलने लगे चुप अंधेरे दांव तब चलने लगे। सुना कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके पश्चात डा ,प्रवेश ने ने अपने उद्बोधन में रोशनी के पंख पुस्तक पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कवि की दृष्टि बड़ी सतर्क यह समाज के उत्थान के लिए होती है वह सदैव लोगों को समझ में व्याप्त बुराइयों के प्रति अगाह कीए रहती है। डा जगदंबा दुबे जी ने अपने उद्बोधन में काव्य की परंपरा पर प्रकाश डालते हुए रोशनी के पंख को सामाजिक चेतना की प्रति बहुत ही उपयोगी पुस्तक बताया। उन्होंने कवि की रचना धार्मिक को पुरातन काव्य परंपरा से भी जोड़ा। उन्होंने इस पुस्तक को एक उत्कृष्ट व सामाजिक सरोकारों से युक्त पुस्तक बताई। डॉ शशि भूषण प्रशांत ने काव्य के ऋषि मुनि परंपरा से अध्यतन तक की व्याख्या की। उन्होंने पुस्तक की सार्थकता की सराहना की। उन्होंने कहा कि रोशनी की पंख की एक-एक पंक्तिया सामाजिक सरोकारों से भरी हैं। अंत में मुख्य अतिथि में अपना उद्बोधन किया उन्होंने यहां के काव्य परंपरा कि सुचिता और विस्तार की प्रशंसा की। उन्होंने कहा है विजेंद्र प्रताप श्रीवास्तव की कविता संग्रह देखने से प्रतीत होता है कि अभी भी काव्य की धार कुंद नहीं हुई है। अंत में मुख्य अतिथि अपने उद्बोधन के लिए जब खड़े हुए तो पूरा सभागार तालिया से गुंजायमान हो गया। मुख्य अतिथि ने इस काव्य संग्रह की भूरी भूरी प्रशंसा की । उन्होंने इसके भाव व कला पक्ष को उत्कृष्ट बताया। अंत में अध्यक्ष उद्बोधन के पश्चात कार्यक्रम संपन्न हुआ और राष्ट्रगान के पश्चात सभा सम्पन हुई। इस कार्यक्रम का संचालन जाने-माने मंच संचालक कवि डॉ ईश्वर चंद्र त्रिपाठी ने किया। इस कार्यक्रम को समय-समय पर अपनी सलाह व दिशा निर्देश से प्रदेश के संगठन मंत्री संयोजक श्री गिरधर खरे सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।